Tuesday, February 20, 2007

यकीन नहि, उम्मीद सही ।

तु नही, तेरा साथ नही
मैं नही, कोई बात नही
तु नही, तेरी याद सही
तुझसे मेरी मुलाकात नयी ।

बिखरे बिंब, कांच वहीं
छोटी लंबी हाथोंकी
ऊंगलीयां पांच वही ।

फूल नही, पंखुडी सही
कांटोंके साथ
तेरी याद जुडी हुईं ।

आज नही, कल सही
पर तु मेरी गझल वही
बोल मत पर सुन सही
रोक के मेरी सांस वही
दिल ने आख्ररी यह कहीं
मेरी रूह के बीच कही
तु रही, सिर्फ़ तु रही ।

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